कॉफी के बिना भूंजे गए बीजों पर आधारित पेय केवल न केवल शरीर के टोनिंग के लिए  प्रभावकारी होते हैं, बल्कि शरीर में चयापचय की प्रक्रिया को भी गति प्रदान करते हैं, साथ ही साथ ग्लूकोज और कार्बोस के अवशोषण को भी  संयमित करते हैं. शुक्र है Green Coffee के ख़ास घटकों का कि इसे अतिरिक्त वजन से लड़ने के लिए प्राकृतिक आहार के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है. Green Coffee में ऐसा क्या है जो इसे इतना प्रभावी बनाता है और इसके प्रयोग के लिए क्या-क्या सलाह उपलब्ध हैं?  इन कई सवालों के जवाब या इनसे सम्बंधित कई अन्य प्रश्नों के जबाब हमारे साक्षात्कार में प्राप्त किया जा सकता है जिसे ख़ास तौर पर इस प्रकार की जानकारी के लिए किया गया है.

Green और Roasted कॉफी के बीच अंतर

तकनीकी तौर पर Green Coffee अपने आप में अनोखी है क्योंकि इसके प्रयुक्त अनाज को थर्मल प्रोसेसिंग के माध्यम से नहीं गुज़रना पड़ता है. हालांकि, उपयोग के लिए तैयार किए गए अनाज में सक्रिय घटकों के उत्पादन के लिए ताजा एकत्रित बेरीज, फलों को सुखाने के बाद इन्हें किण्वन क्रिया के माध्यम से शुद्ध भी किया जाना अतिआवश्यक पहलू है. कॉफी के प्रकार के आधार पर, इनके रंग हरा, पीला, या भूरा रंग आदि के आधार पर परिवर्तित हो सकते हैं. इसके प्रकार के आधार पर तैयार पेय का स्वाद कड़वा या खट्टा हो सकता है. सूखे, लेकिन बिना भुने हुए फल सामान्य कॉफी की तुलना में भारी होते हैं, इसलिए इस बात का खासतौर पर ध्यान देना चाहिए कि इसे घर की छोटी कॉफी बनाने की मशीन में तोड़ने का प्रयास न करें.

कफ़ा के इथियोपिया प्रांत को Green Coffee की मातृभूमि माना जाता है. स्थानीय निवासियों का मानना ​​है किइस ताजे अनाज के साथ गर्म पेय तैयार करने से उसमे रोगनिवारक गुण आ जाते हैं.

रोस्टिंग कॉफ़ी की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य इसके छुपे हुए स्वाद और खुशबूदार गुणों निखारना है. पिछली कई शताब्दियों में थर्मल प्रोसेसिंग की तकनीक में उन जगहों में बहुत सुधार हुआ है, जहां पर कॉफी एक पारंपरिक पेय है. इसका उच्च तापमान अनाज में उपस्थित सुगन्धित तेल की सबसे ज्यादा मात्रा को निखारता है जिसके चलते यह और भी ज्यादा नरम हो जाता है. यही कारण है कि यह पीसने में आसान होता है परन्तु हीटिंग प्रक्रिया के दौरान इसके बहुत से महत्वपूर्ण तत्व नष्ट हो जाते हैं.

भूनने के चरण में, कई रासायनिक प्रक्रियाएं होती हैं, जिनमें से कुछ से तो बचना ही अच्छा है. थर्मल हीटिंग के बाद सभी स्वास्थवर्धक पदार्थ अपने मूल मात्रा में नहीं रह पाते हैं. इस प्रकार कोई भी  विश्वासपूर्वक यह दावा कर सकता है कि उनकी Green Coffee पर आधारित पेय में विटामिन और माइक्रो तत्व अन्य किसी ब्लैक कॉफ़ी की तुलना में कहीं अधिक होते है.

Green Coffee के इतनी बड़ी लोकप्रियता हासिल करने का प्रमुख कारण

हम इस आलेख में सबसे ज्यादा ध्यान इसके आहार गुणों पर केन्द्रित करेंगे परन्तु इसके अलावा भी Green Coffee में अन्य कई महत्वपूर्ण गुण उपस्थित हैं.

  • कार्डियोवास्कुलर सिस्टम की गति को बनाए रखना. ऊतकों तथा अंगों तक रक्त की आपूर्ति की तीव्रता को बनाये रखना.
  • अग्न्याशय और लीवर के कार्यों की गति को सही करना और किसी रोग से प्रभावित होने के बाद कोशिकाओं के स्वास्थ्य को संवर्धित करना.
  • सोचने की क्षमता और स्मृति पर सकारात्मक प्रभाव डालना.
  • Green Coffee के फलों से निकाले जाने वाले तेल का उपयोग कॉस्मेटोलॉजी में भी किया जाता है. इसके पिसे हुए अनाज को जब पानी के साथ मिलाकर चेहरे के समस्या वाले स्थान पर लगाया जाता है तो यह सेल्युलाईट, चोट का निशान, या फ़िर खिंचाव के निशान से भी निज़ात दिलवाता है. इसके अलावा इस उत्पाद को बालों की रंगत बढ़ाने और मजबूत बनाने में भी प्रयोग में लाया जाता है.

शुक्र है इसके इन स्वास्थवर्धक गुणों का कि,  Green Coffee आज की आधुनिक दुनिया में बेहद लोकप्रिय हो गया है. यह लगभग सभी देशों में प्रसिद्ध हो रहा है. वर्तमान समय में,  भारतीय लोगों ने भी इसे दिल खोल के अपनाया है.

क्लोरोजेनिक एसिड का लाभ

क्लोरोजेनिक एसिड कई प्राकृतिक उत्पादों में निहित है:

  • सूरजमुखी के बीज,
  • सूखे बेर,
  • चाय की पत्तियां,
  • बिल्बेरी आदि

इस पदार्थ के फाइटोथेरेप्यूटिक गुणों पर वैज्ञानिकों द्वारा लंबे समय से अध्ययन किया जा रहा है और इसके ही आधार पर बनाई गई पर यह दवा के रूप में हृदय रोग में भी बहुत कारगर है. यहां तक कि इसमें उपलब्ध क्लोरोजेनिक ​ एसिड और कैफीन का एक बार का प्रयोग भी पाचन में तेजी लाने के रूप में प्रभावी है. इस तरह के एक संयोजन कई आहारविशषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है .

नैदानिक ​​परीक्षणों पर आधारित क्लोरोजेनिक एसिड के ग्रहण करने और होमोसिस्टीन की निकासी के बीच एक सीधा संबंध साबित हो चुका है. रक्त में इस एमिनो एसिड की उपस्थिति मैओकार्ड पर सकारात्मक प्रभाव डालती है.
दुर्भाग्यवश, कॉफी के भूनने की प्रक्रिया के दौरान इसके गुणों की गुणवत्ता में आयी कमी के कारण के रूप में क्लोरोजेनिक एसिड उभर कर आता है.  उदाहरण के लिए, रोबस्टा ब्रांड के अनाज में थर्मल प्रसंस्करण के बाद इसकी सामग्री १०% से ३.८% हो जाती है, जबकि अरेबिक में तो यह केवल २.५% ही रह जाता है. इतने बड़े नुकसान के पीछे सबसे बड़ा तथ्य यह है कि अनाज की भुनाई लगभग २५०С के तापमान पर होती है. जैसा कि इस भुनाई में  क्लोरोजेनिक एसिड का वाष्पीकरण हो जाता है अथवा २०५C से २१०C के तापमान पर यह आंशिक रूप से नष्ट होता है.

Green Coffee में क्लोरोजेनिक एसिड की उच्च प्रतिशत्ता ही वह मुख्य बात है जिससे कि आहार विशेषज्ञों के मध्य इस उत्पाद की रूचि में बहुत इजाफ़ा हुआ. क्लोरोजेनिक एसिड में बहुत ही ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट गुण विद्यमान होते हैं. मुक्त कणों के नकारात्मक प्रभाव को अवरुद्ध करने से कोशिकाओं की आंतरिक संरचना और डीएनए के संरक्षण का कार्य, साथ ही यह त्वचा में उम्र बढ़ने से आने वाले निशानों को धीमा करने के साथ-साथ ट्यूमर से सम्बंधित बीमारियों के जोखिम को भी कम करने का कार्य करती है.  इसके अलावा, क्लोरोजेनिक एसिड के अलावा अन्य भी कई स्वास्थ्यवर्धक गुण विद्यमान होते हैं जो कि निम्न प्रकार से हैं:

  • यह उन रोग प्रक्रियाओं के विरुद्ध कार्य करता है जो कि हृदय रोग के लिए प्रमुख कारण होती हैं.
  • जीवाणुरोधी एवं एंटीवायरस प्रभाव. दाद के कारक, औरोकोसी के दाग, और आंत की समस्यायों में यह विशेष रूप से सक्रिय कार्य करती है.
  • कोलेस्ट्रॉल को कम करने का गुण जिसके चलते रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को आसानी से कम किया जा सकता है.क्लोरोजेनिक एसिड एथोरोसक्लोरोसिस के खिलाफ लड़ने के लिए एक बेहद ख़ास तरीका है.
  • रक्त में ग्लूकोज के प्रतिशत में कमी.शरीर अधिक सक्रिय रूप से वसा पर्तों में से ऊर्जा निकालता है.

ऊपर सूची में क्लोरोजेनिक एसिड के गुणों के बारे में उल्लेखित चर्चा में इसे अतिरिक्त वजन से लड़ने के लिए एक आहार उत्पाद के रूप में प्रदर्शित किया गया है. सच यह है कि Green Coffee के ख़ास घटकों की वजह से तथा कैफीन और अन्य सक्रिय पदार्थों के बीच होने वाली सहक्रियात्मकता से इसकी प्रभावशीलता और भी बढ़ जाती है. लंबी अवधि से Green Coffee का प्रयोग कर रहे लोगों में, निम्न परिवर्तनों को देखा जाता है:

  • चयापचय की प्रक्रिया की गति का बढ़ना;
  • पुराने जमे हुए वसा को कम करने के साथ-साथ नए वसे को अवरुद्ध करने का कार्य.
  • ग्रहण किए हुए भोजन से ग्लूकोज के अवशोषण की प्रक्रिया को धीमा करना.

Green Coffee का सेवन करने के बाद, एक टोनिंग प्रभाव के साथ तत्काल ऊर्जा का एक भण्डार शरीर में आ जाता है, जिसे व्यायाम में उपयोग में लाया जा सकता है लोग हैं, जिन लोगों ने इस असाधारण पेय को आज़माया है,उन्होंने समीक्षा के द्वारा हमे इसके बारे में बताया कि शरीर में भोजन की आपूर्ति तेज़ी से होती है और कई-कई घंटे तक भूख नहीं लगती है, इसकी प्रशंसा करने में समीक्षक ज़रा भी नहीं थकते हैं.  Green Coffee एक प्राकृतिक पेय है जिसका कि पोषक तत्व के रूप में सेवन नियमित रूप से एक मुख्य आहार के साथ या अलग से किया जा सकता है.
Green Coffee के प्रयोग में कैफीन की मात्रा बहुत ही कम है. हालांकि,  इसकी गुणवत्ता और गर्म होने के समय घुलने की गति पिसने तथा भुन कर तैयार होने में लगे समय से कम है, इसकी दैनिक प्रयोग मात्रा को बिना किसी नकारात्मक परिणाम के बढ़ाया जा सकता है.

 Green Coffee का वसा ऊतकों पर हुए असर का अध्यनन

फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के माध्यम से इसके सकारात्मक प्रभाव की पुष्टि की है कि Green Coffee वसा ऊतकों पर खासा प्रभाव डालती है. अन्य किसी कॉफ़ी की तुलने में Green Coffee का नियमित सेवन करने वाले लोगों के बीच में अन्यों की तुलने में तीन गुना अधिक गति से वसा की कोशिकाओं का संचय कम हुआ. विभिन्न प्रकार के खेलों के प्रयोग से अतिरिक्त कैलोरी के जलने की गति को और भी तीव्र किया जा सकता है,और वसा को उर्ज़ा में परिवर्तित किया जा सकता है.

औसत पर, जो लोग नियमित रूप से Green Coffee का उपयोग करते हैं वे प्रति माह लगभग २ से ३ किलो तक अपना वजन कम करते हैं.  इस अध्ययन के दौरान, किसी भी प्रकार के अतिरिक्त भोजन का सेवन नहीं किया गया, बस वजन घटाने के तरीकों का प्रयोग किया गया था.

अमेरिकी आहार विशेषज्ञ से बहुत रोचक जानकारी प्राप्त हुई जिन्हें उन्होंने आंत के आंतरिक ऊतकों द्वारा चीनी के अवशोषण की प्रक्रिया का अध्ययन करके प्राप्त किया था.  प्रकाशित परिणामों के अनुसार, Green Coffee ने बहुत हद तक आंत की चीनी और ग्लूकोज को अवशोषित करके खून में पहुँचाने की प्राकृतिक क्षमता को कम कर दिया. क्लोरोजेनिक एसिड की उच्च गुणवत्ता सक्रिय रूप से वसा ऊतकों को प्रभावित करता है, इसमें यह वसा के संचय को तोड़ कर इससे उर्ज़ा का उत्सर्जन करता है.

भारतीय शोधकर्ताओं ने एक प्रयोग किया जिसमे प्रतिभागियों ने (एक मर्द और एक औरत) अपने शरीर में १६  किलो की मात्रा में अतिरिक्त वसा को जमा करके रखा हुआ था.  6 सप्ताह के कोर्स में, उन्होंने Green Coffee की लगभग ३५० मिलीलीटर मात्रा का हर दिन सेवन किया, जिसके चलते अंतिम चरण में पहुँचने तक उन्होंने अपने वजन को २ से ३ किलो तक कम कर लिया. अतिरिक्त परीक्षणों से पता चलता है कि मांसपेशियों के मोटापे में भी वसा के संचय घटने से कमी आई परन्तु इस प्रक्रिया में मांसपेशियों के ऊतक बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुए. प्रयोग के दौरान उनकी शारीरिक प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आयी.

ध्यान दें! जिन लोगों ने प्रयोग में भाग लिया उन्होंने ख़ुद की इच्छा से इसमें भाग लिया और इसके पहले उन्हें विभिन्न चिकित्सकीय परीक्षाओं से होकर गुज़रना पड़ा.  Green Coffee को ऑर्डर करने और व्यवस्थित ढंग से इसका सेवन करने से पहले,  आपके द्वारा इसके रासायनिक घटकों को अवश्य जांचा जाना चाहिए, विशेष रूप से उत्तेजक पदार्थों की प्रतिशत्ता. व्यक्तिगत तौर पर चुनी गयी Green Coffee में यह शर्करा के स्तर नियंत्रण में और भी अच्छे से प्रभावकारी होगी है, जो कि न केवल आहार के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि, चिकित्सकीय प्रयोजनों के लिए भी महत्वपूर्ण है (विशेष रूप से, मधुमेह रोगियों के लिए यह महत्वपूर्ण है).

Green Coffee को तैयार करने की विधि:

Green Coffee को गर्म करने की प्रक्रिया नियमित रूप से उपयोग आने वाली कॉफी के पारंपरिक प्रक्रिया से कुछ ख़ास अलग नहीं है. पिसे हुए ग्रेन्स के लिए, तुर्की कॉफी तैयार करने वाले बर्तन का उपयोग करना सबसे अच्छा है, जबकि एक ड्रिपिंग कॉफी मशीन का प्रयोग मध्यम पिसे हुए कॉफी के लिए अधिक उपयुक्त है. एक मानक भाग तैयार करने के लिए, आपको लगभग २ से ३ चम्मच Green Coffee का उपयोग करना चाहिए. तैयारी के दौरान, कॉफी को बहुत ज्यादा नहीं उबाला जाना चहिए. आहार विशेषज्ञ खाना खाने से 15 मिनट पहले Green Coffee को पीने की सलाह देते हैं. इसके दैनिक प्रयोग की इष्टतम मात्रा २ से ३ कप है.